एक लाख के इनामी गोरखपुर के चर्चित माफिया विनोद उपाध्याय का हुआ एनकाउंटर
गोरखपुर के चर्चित माफिया विनोद उपाध्याय काएनकाउंटर- आज तड़के 3:30 पर गोरखपुर के चर्चित माफिया विनोद उपाध्याय का एनकाउंटर उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुल्तानपुर में कर दिया। गोरखपुर के मोस्ट वांटेड विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया । विनोद ने STF का घेरा तोड़कर भागने की कोशिश की और पुलिस टीम पर कई राउंड फायरिंग की जवाब में STF ने उस पर फायर किए इसमें विनोद को गोली लग गई इसके बाद उसको इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।अस्पताल में इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई।
करीब 7 महीने से एसटीएफ गोरखपुर क्राइम ब्रांच और पुलिस उसकी तलाश कर रही थी।
विनोद उपाध्याय पर एक लाख रुपए का इनाम था वह गोरखपुर से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था लेकिन चुनाव में हार गया था
विनोद के पास से एसटीएफ ने चीनी पिस्टल स्टेन गन 9 mmफैक्ट्री मेड जिंदा कारतूस और स्विफ्ट कर बरामद की है।
योगी सरकार ने 68 वांटेड माफिया की लिस्ट जारी की थी उसमें टॉप टेन में विनोद उपाध्याय का भी नाम था विनोद का मुख्य काम रंगदारी मांगना, जमीन कब्जा करना, ठेकेदारी और सूद पर पैसा देना था।
विनोद मूल रूप से अयोध्या जिला के माया बाजार स्थित उपाध्याय का पुरवा का रहने वाला था सितंबर 2023 में विनोद पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने 1 लाख का इनाम घोषित किया था। 7 महीने से गोरखपुर जिले की पुलिस एसटीएफ और क्राइम ब्रांच उसकी तलाश कर रही थी।
गोरखपुर की शाहपुर थाना पुलिस ने साल 2010 में विनोद उपाध्याय उसके भाई संजय उपाध्याय और सहयोगी प्रभाकर द्विवेदी के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की थी।
विनोद उपाध्याय कोर्ट केस के दौरान कभी भी हाजिर नही हुआ-
इस मुकदमे की सुनवाई न्यायाधीश शशिभूषण कुमार सांडिल्य की कोर्ट में चल रही थी। लेकिन दोनों भाई कभी सुनवाई में कभी भी हाजिर नहीं हुए,तभी से पुलिस विनोद उपाध्याय की तलाश कर रही थी। पुलिस से बचने के लिए उसके भाई संजय उपाध्याय ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था,और विनोद उपाध्याय भी सरेंडर करना चाह रहा था। लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सका। विनोद पर पुलिस की कार्रवाई को देखकर उससे पीड़ित लोग भी खुलकर सामने आने लगे और उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हो गया।
7 महीना पहले ही विनोद के अवैध घर पर बुलडोजर चला था। सलेमपुर मोगलहा में माफिया के अवैध मकान की पहले बाउंड्री वॉल तोड़ी गई साथ ही उसके कब्जे से 7000 स्क्वायर फीट जमीन को भी खाली कराया गया था।
कार से प्रयागराज जाते हुए रास्ते मे STF ने विनोद को घेरा- गुरुवार देर रात विनोद कार से प्रयागराज जा रहा था रास्ते मे उसे STF ने घेर लिया इस दौरान मुठभेड़ में वह मारा गया।विनोद उपाध्याय इस समय रियल स्टेट का काम कर रहा था। लखनऊ नोएडा दिल्ली प्रयागराज एवं झारखण्ड में उसका रियल स्टेट का कारोबार चल रहा था।
विनोद उपाध्याय बसपा से चुनाव भी लड़ चुका था-
जुर्म की दुनिया से विनोद ने राजनीति में आने की सोची थी और उसने बसपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत भी की बसपा के कद्दावर नेता सतीश चंद्र मिश्रा से उसकी नजदीकी थी,2007 में चुनाव के दौरान बहन मायावती जी ने उसके चुनाव में प्रचार भी किया था। लेकिन जब नतीजे आए तो विनोद चौथे नंबर पर रहा,उस समय भाजपा के डॉक्टर राधा मोहन राधा अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी।
रेलवे के ठेके के लिए हिंदूवादी नेता को पीटा-
विनोद उपाध्याय पर आरोप है कि रेलवे के ठेके के लिए उसने हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर लिया था। फिर सुशील को गोरखपुर शहर के अंदर विजय चौराहे से लेकर गणेश होटल तक पिटते हुए ले गया था, सुशील छोड़ देने की विनती कर रहा था लेकिन विनोद को तरस नहीं आया। बाद में मामला दर्ज हुआ और कार्रवाई नहीं हुई विनोद तब चर्चा में आया जब उसने एक थप्पड़ के बजाए नेपाल के बदमाश और अपराधी जीत नारायण मिश्रा की हत्या कर दी थी।
एक थप्पड़ के बदले नेपाल के बदमाश की गोली मारकर हत्या कर दी-
गोरखपुर जेल में बंद के दौरान दीप नारायण मिश्र ने विनोद को एक थप्पड़ मारा था, विनोद जब कुछ दिन बाद जमानत से बाहर आया। उधर जीत नारायण को बस्ती जेल भेज दिया गया 7 अगस्त 2005 को जीत नारायण मिश्रा को भी जमानत मिल गई वह अपने बहनोई गोरेलाल के साथ संत कबीर नगर के बखिरा जाने के लिए जीप पर बैठा।
जैसे ही वह उतरा कार से आये बदमाशो ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग कर जीतनारायन को मार डाला। विनोद उपाध्याय पर कुल 35 मुकद्दमे दर्ज थे।
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